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Journalist and writer, Writes on Northeast India, Bangladesh, Myanmar

रविवार, 31 जुलाई 2016

देखिए न इस्लाम के नाम पर क्या कर दिया

जब भी बांग्लादेश जाना होता है उसके पहले पहले वहां हालात असामान्य हो जाते हैं। पिछली बार बांग्लादेश में घुसने से पहले ही वहां विपक्षी दल का पथ अवरोध शुरू हो गया था जिसमें बसों को आग लगाई जा रही थी। उस समय मुझे ट्रेन से होकर ही ढाका पहुंचना था, इसलिए मन में काफी डर था। 

इस बार वीसा बनवाने के बाद ढाका में एक जुलाई 2016 को गुलशन वाली घटना हो गई जिसमें आईएस के आतंकियों ने कई विदेशियों को मार डाला था। इसके तुरंत बाद किशोरगंज (शलोकिया) में ईद की नमाज के इमाम को मारने के लिए आतंकियों ने हमला किया जिसमें पुलिस वाले मारे गए। 

किशोरगंज की घटना के बाद सोचा कि कार्यक्रम रद्द कर दिया जाए। फिर कार्यक्रम को नहीं बदलने का फैसला किया। क्योंकि बार-बार जाना होता नहीं है। और सोचा कि इतनी बड़ी घटना हुई है तो कुछ ज्यादा जानकारियां मिल जाएंगी।

विमान बांग्लादेश एयरलाइंस को बोलचाल की भाषा में विमान या विमान बांग्लादेश कहते हैं। विमान के उड़ते ही उद्घोषक बिस्मालाह से शुरुआत करती है और अंत अल्लाह हाफिज से। बांग्लादेश का राष्ट्रधर्म इस्लाम होने के बाद से यह जरूरी है। 

एयरलाइंस काफी लचर व्यवस्था वाली है। एयरपोर्ट पर जो बस हमें विमान से गेट तक ले जाने के लिए खड़ी थी वह काफी धुंआ फेंक रही थी। उतना धुंआ फेंकने वाली आजकल हमारे यहां की सीटी बसें भी नहीं रहीं।

अंदर इमीग्रेशन के कई काउंटर तो हैं और विदेशियों के लिए अलग काउंटर भी, पर उन पर इतनी धीमी गति से कार्रवाई होती है कि एक-एक यात्री के लिए 7-8 मिनट लग जाते हैं। मैं जहां कतार में खड़ा था वहां किसी ने उल्टी कर दी थी या पता नहीं किस चीज की गंदगी थी। 

थोड़ी देर में हिजाब परिहित एक सफाई करने वाली महिला आई और उसे साफ कर दिया। मेरे आगे पांच लोग ही होंगे लेकिन खड़े-खड़े पांव दुखने लगे। मैं काउंटर के उस पार देख रहा था जहां मनी एक्सचेंज के करीब आधा दर्जन काउंटर थे। मैं सोच रहा था कि किस काउंटर से हमें डालर को टाका में बदलवाना चाहिए। 

ऐसा नहीं हो कि उधर दलाल पीछे पड़ जाएं। देखा कि सोनाली बैंक के काउंटर से लोग पैसे बदलवा रहे हैं। मैंने भी सोच लिया कि सोनाली बैंक के पास ही जाऊँगा। सोनाली बैंक का नाम किसी समय असम के अखबारों में खूब उछला था। उस समय उल्फा का बोलबाला था और खबरें थीं कि उल्फा के नेता परेश बरुवा का करोड़ों रुपया इसी बैंक में है। 

यह खबर भी निकली कि बांग्लादेश सरकार ने जब से सख्ती बढ़ा दी तब से उसका सारा पैसा बैंक में जब्त कर लिया गया। लेकिन इसके बारे में प्रामाणिक जानकारी मिलना मुश्किल है। खबरें तो ये भी थीं कि फुटबाल के शौकीन परेश बरुवा ने करोड़ों रुपए बांग्लादेश के विभिन्न कारोबारों में लगा रखे हैं।

कई फ्लाइटें एक साथ आई थीं। इमिग्रेशन के जिन काउंटरों पर बांग्लादेशी नागरिक अपने पासपोर्ट पर स्टांप लगवा रहे थे उन पर काफी भीड़ थी। लगभग सभी लोग रियाध, अबू धाबी, दम्माम और दुबई से लौटे थे। उनके पास काफी सामान था। इन देशों से भारत आने वाले यात्री भी जमकर खरीदारी करके आते हैं। आने वाले यात्री उन देशों में काम करते हैं। 

काफी यात्रियों के साथ उनकी पत्नियाँ भी थीं जो काले बुर्के में थीं। काफी पुरुष भी अरब शैली के लंबे चोंगे में थे और उनके बच्चे भी। दक्षिण एशियाई देश बांग्लादेश के माहौल में यह हास्यास्पद लग रहा था।

पहली बार किसी एयरपोर्ट पर देखा कि सामान वाले आधे बेल्ट एक तरफ हैं और आधे बेल्ट दूसरी तरफ। इमिग्रेशन अधिकारी ने सरलता से पूछा ढाका क्यों आए हैं। मैंने कहा किसी परिचित से मिलने। तो उसने कहा - सौजन्यमूलक मुलाकात करने? शुद्ध बांग्ला बोलने का टिपिकल बांग्लादेशी स्टाइल।

सोनाली बैंक के काउंटर पर एक डालर के अस्सी टाका और बीस पैसे के हिसाब से टाका मिल गए। बस डालर लिया, उसे देखा, परखा कि असली तो है न और टाका दे दिए। कोई कमीशन वगैरह नहीं। पास के काउंटर से चार सौ टाका में बांग्लालिंक का सिम कार्ड, टॉक टाइम और डाटा भरवा लिया। आगे कौन यह सब करता रहेगा। बाहर निकलने के गेट पर सूटकेश को एक्स रे कराना पड़ा। खैर!

टैक्सी के काउंटर पर पूछा कि अमुक जगह जाने के कितने तो उसने चार्ट देखकर कहा चौदह सौ। मैंने अपनी सूटकेश पकड़ी और कहा कि बाहर तीन सौ में सीएनजी ले लूंगा। यहां ऑटोरिक्शा को सीएनजी कहते हैं क्योंकि वे सीएनजी से चलते हैं। टैक्सी के काउंटर वाले ने कहा कि नाराज क्यों होते हैं चलिए सौ टाका कम दे दीजिएगा।

मैंने कहा सात सौ दे सकता हूं। मेरे लाख रुखापन दिखाने के बावजूद उसने सात की जगह आठ सौ के लिए मुझे मनवा ही लिया। आखिर हमारा होटल था भी 18 किलोमीटर दूर। आते समय इतनी ही दूरी के लिए ऑटो वाले को तीन सौ टाका दिए। ऑटो यानी सीएनजी और टैक्सी में इतना फर्क तो होता ही है।

टैक्सी कंपनी का कर्मचारी हमारी मदद के लिए हमारे साथ हो गया। उसने कहा बस टैक्सी आ ही रही है। उसने ड्राइवर को फोन कर दिया था। कहा कि चेकिंग के लिए पांच मिनट लेट हो रहे हैं। गुलशन की घटना के बाद चेकिंग बढ़ा दी है। देखिए न इस्लाम के नाम पर कितना बुरा काम कर दिया। 

मैंने पूछा यहां जो इतनी पुलिस मिलिटरी है हमेशा रहती है या इस घटना के बाद लगा दी है। उसने कहा हमेशा रहती है। फिर और भी कुछ-कुछ बताने लगा। नई बात यह हुई है कि अब एयरपोर्ट आने वाली हर टैक्सी और गाड़ी के यात्रियों को उतारकर बाकायदा तलाशी ली जाती है।

टैक्सी पर पानी के छींटें लगे हुए थे। पता नहीं धुलाई करके लाया था या और कुछ। यह एक काफी पुरानी टोयोटा कार थी। ढाका में जितनी भी कारें हैं वे सभी टोयोटा हैं। दूसरी कंपनियां अपवाद स्वरूप ही दिखाई देती हैं। टोयोटा भी जापान से पुरानी रीकंडीशंड की हुई आती हैं। 

2012-13 के मॉडल का करीब 22-23 लाख टाका पड़ जाता है। कारों के बहुत दाम हैं क्योंकि आयातित कारों पर 300 फीसदी तक ड्यूटी लगती है। मैंने पूछा कुछ लोगों को ड्यूटी से छूट मिल जाती होगी। 

लेकिन नहीं, यहां सिर्फ संसद सदस्यों को ही यह छूट मिलती है। आखिर जनता के प्रतिनिधियों को जनता से मिलने के लिए काफी घूमना भी तो पड़ता होगा।

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