अभी-अभी Czech Republic की राजधानी Prag या Praha में उतरा हूं। बस, जिसमें कि किसी विमान से ज्यादा ही सुविधाएं थीं, 3.18 की जगह 3.05 पर ही अपने गंतव्य पर पहुंच गई। उतरते ही एक दलाल आया और मुद्रा बदलने के लिए कान में कह गया। पता लगा कि Czech Republic में Crown चलता है।
एक Euro 25 क्राउन के बराबर होता है। जो भी हो, बस अड्डा सूनसान लगा, किसी चर्च जैसा स्थापत्य था। टैक्सी की खोज में चर्च के अंदर गया और सीढ़ियों से नीचे उतरा तो नीचे पूरा एक मार्केट था। दरअसल यह बस अड्डा नहीं रेलवे स्टेशन था। यूरोप में मैंने बस अड्डा कहीं नहीं देखा। बसें रेलवे के साथ तालमेल रखकर चलती हैं।
टिकट भी स्टेशन पर मिलता है। टैक्सी वाले ने लिस्ट देखकर कहा 28 यूरो लगेंगे। मैंने कहा क्यों भई पिछली बार तो कम लिए थे। एक दूसरे ड्राइवर ने जो ज्यादा अच्छी अंग्रेजी जानता था कहा नहीं फिक्स रेट है। मैं मान गया तो एक टैक्सी वाले ने बैग अपनी टैक्सी में डाल ली। बैठने पर कहा 28 यूरो। मैंने कहा ठीक है। उसने कहा निकालो। मैंने कहा एडवांस।..हां। ...ठीक है ले लो। जो भी हो होटल पहुंच गया। होटल में भी एडवांस पेमेंट का रिवाज है।
Czech लोग ऊंची कदकाठी के होते हैं। काफी लंबे। समझ लीजिए गोरे पठान। हमारी फिल्मों में किसी गोरे कप्तान या अफसर का रोल करने के लिए यहां से से किसी ड्राइवर को ले जाना बुरा खय़ाल नहीं होगा। होटल अच्छा है, लेकिन यहां वैसे नहीं है कि कोई बेयरा आपका सामान लेकर आपके कमरे में पहुंचा देगा। इतने लोग नहीं हैं इनके पास।
Germany में मुख्य स्टेशन को हाफ्टबानहॉफ कहते हैं, Czech भाषा में भी एक नाम है अभी याद नहीं आ रहा। चेक भाषा में क्या कहते हैं याद रखना पड़ता है क्योंकि तभी आप उस ट्राम स्टॉप पर उतर पाएंगे जहां रेल स्टेशन है। Tram में सिर्फ Czech भाषा में सभी नाम आते हैं और घोषणाएं आती हैं।
Europe में भाषाओं का बड़ा गड़बड़झाला है। स्टेशन पर चेक और जर्मन भाषा तो काफी है लेकिन अंग्रेजी बस कहीं-कहीं। जर्मनी में काम चलाने के लिए सीखा कि प्लेटफॉर्म को क्या कहते हैं, ट्रेन नेम को क्या कहते हैं यहां Czech गणराज्य में अब फिर से सीखना पड़ रहा है।
अंत में इन्फॉर्मेशन में जाकर पुष्टि भी कर ली कि मैंने ठीक ही समझा है न। उन्होंने बताया कि 20 मिनट पहले प्लेटफॉर्म की घोषणा होगी। स्टेशन कम से कम चार मंजिलों वाला है। सभी मंजिलें नीचे की ओर है। बर्लिन में भी ऐसा था। किसी एयरपोर्ट से भी बढ़कर।
Praha में अंग्रेजी बोलने वाले युवा बड़ी संख्या में दिखाई पड़े। आसपास के लोग तो German बोल लेते हैं और शायद बाकी के बाहर के लोगों को अंग्रेजी में ही बात करनी पड़ती होगी। Germany में ऐसा नहीं था। हालांकि यहां और वहां लगभग सभी लोग अंग्रेजी बोल और समझ लेते हैं।
किसी ने ठीक ही कहा था कि Europe में हम भारतीयों के लिए लघुशंका बड़ी समस्या हो जाती है। यहां कहीं भी आलिंगनबद्ध, चुंबन लेते हुए जोड़े दिख जाएंगे लेकिन लघुशंका के लिए पेशाबघऱ या उसका संकेत नहीं दिखाई देता। हैं भी बहुत कम।
Praha में अंग्रेजी बोलने वाले युवा बड़ी संख्या में दिखाई पड़े। आसपास के लोग तो German बोल लेते हैं और शायद बाकी के बाहर के लोगों को अंग्रेजी में ही बात करनी पड़ती होगी। Germany में ऐसा नहीं था। हालांकि यहां और वहां लगभग सभी लोग अंग्रेजी बोल और समझ लेते हैं।
किसी ने ठीक ही कहा था कि Europe में हम भारतीयों के लिए लघुशंका बड़ी समस्या हो जाती है। यहां कहीं भी आलिंगनबद्ध, चुंबन लेते हुए जोड़े दिख जाएंगे लेकिन लघुशंका के लिए पेशाबघऱ या उसका संकेत नहीं दिखाई देता। हैं भी बहुत कम।
होटल में पानी पीते समय ही सोचा था कि आगे मुश्किल होगी। हुई भी। स्टेशन की चार मंजिलों पर बहुत खोजने के बाद एक आलीशान यूरीनल दिखाई दिया। वहां ऑटोमेटिक मशीन में एक यूरो का सिक्का डालने पर आगे जाने का रास्ता खुलता है।
अमूमन Germany और Praha में पचास सेंट लगते हैं। यहां सार्वजनिक स्थानों पर जीवित व्यक्ति का राष्ट्रीय नायकों की मूर्ति बनकर खड़ा होना या बैठना एक आर्ट है। मैंने ऐसी ही एक मूर्ति के साथ फोटो खिंचवाई।
Czech गणराज्य में कम्युनिस्ट शासन की छाप तीन चीजों में आज भी दिखाई देती है – एक, ट्राम के किराए में तरह-तरह की छूट में। जैसे गर्भवती महिला के लिए या बुजुर्गों के लिए किराया कम है। इसी तरह छूट की कई श्रेणियां हैं। Germany में ऐसा कुछ नहीं था। इससे ऑटोमैटिक टिकट मशीन पर लिखावट काफी उलझाव वाली हो जाती है क्योंकि बटन के पास छोटे से स्थान पर कई तरह का किराया जैसे-तैसे ठूस-ठास कर लिखा रहता है।
Czech गणराज्य में कम्युनिस्ट शासन की छाप तीन चीजों में आज भी दिखाई देती है – एक, ट्राम के किराए में तरह-तरह की छूट में। जैसे गर्भवती महिला के लिए या बुजुर्गों के लिए किराया कम है। इसी तरह छूट की कई श्रेणियां हैं। Germany में ऐसा कुछ नहीं था। इससे ऑटोमैटिक टिकट मशीन पर लिखावट काफी उलझाव वाली हो जाती है क्योंकि बटन के पास छोटे से स्थान पर कई तरह का किराया जैसे-तैसे ठूस-ठास कर लिखा रहता है।
दो, वहां मुख्य चौराहे का नाम अब भी रिवोल्यूशनस्का नामेस्ती है। नामेस्ती Czech भाषा में चौराहे को कहते हैं। नए प्रशासन की तारीफ की जानी चाहिए कि उसने इस चौराहे का नाम बदलने के बारे में नहीं सोचा। तीन, कहीं-कहीं अब भी रूसी भाषा में लिखावट दिखाई दे जाती है। उसे बदला नहीं गया है। communist शासन के खात्मे के बाद रूसी यहां से चले गए थे।
लेकिन करीब दो दशकों बाद वे फिर से Prag और Czech गणराज्य में अच्छे अवसरों की तलाश में आने लगे हैं। प्राग और इसके आसपास रूसी स्कूल, अखबार और व्यापार फल-फूल रहे हैं। दरअसल रूसियों की संख्या सिर्फ Czech गणराज्य में ही नहीं पूर्वी यूरोप के Bulgaria, Slovakia, लाटविया, एस्टोनिया जैसे देशों में दिन पर दिन बढ़ रही है। प्राग में पढ़ने वाली वलेरिया नाम की उस होटल प्रबंधन की छात्रा के वाकये में रूस की सच्चाई साफ झलकती है।
हमारे यहां से जब कोई बाहर पढ़ने जाता है तो माता-पिता कहते हैं बेटा जल्दी वापस आ जाना। लेकिन जब वलेरिया रूस के Siberia से Prag के लिए रवाना हो रही थी तो उसके माता-पिता ने उससे कहा था – बेटी वापस मत लौटना। यूरोपियन संघ का सदस्य होने के कारण Czech गणराज्य में एक तरह की गतिशीलता तो है ही।
Prag यूरोप का काफी पुराना शहर है। इसके दो भाग हैं एक पुराना शहर और दूसरा नया शहर। मजेदार बात यह है कि जो नया शहर है वह भी 14वीं शताब्दी का बना हुआ है। पुराना शहर इससे और एक सदी पुराना है। जब गाइड कहती है कि यह पब है जो डेढ़ सौ साल पुराना है और Prag के सभी कलाकार यहां बीयर पीने आया करते थे और आज भी आते हैं तो प्राग की ऐतिहासिकता हमारी आंखों को चकाचौंध कर देती है।
लेकिन पुराना कहते ही पुरानी दिल्ली की तस्वीर मन में लाने की जरूरत नहीं जहां पुरानी हवेलियां टूट रही हैं और गलियां संकरी हैं। निःसंदेह Prag में सड़कें आज के शहरों जैसी चौड़ी नहीं हैं लेकिन फिर भी उन्हें गली नहीं कहा जा सकता। Czech लोगों ने अपने शहर को संजोकर रखा है।
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