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Journalist and writer, Writes on Northeast India, Bangladesh, Myanmar

रविवार, 9 नवंबर 2008

तो आप मुसलमानों से क्या अपेक्षा करते हैं दीनानाथ जी

दीनानाथ मिश्र का इस सप्ताह का कालम पढ़ा। मिश्र जी का कहना है कि भारत के मुसलमान विद्वानों में से बहुत सारे अपराधबोध से ग्रसित हैं। वे कुरान की गलत व्याख्या करते हुए जिहाद का गलत अर्थ बताते हैं। काफिर का गलत अर्थ बताते हैं। आखिर हम जिहादियों का अर्थ सही मानें या इन विद्वानों का बताया अर्थ। कुल मिलाकर ध्वनि यही निकलती है कि इन विद्वानों की लीपापोती से क्या होगा, असली अर्थ तो जिहादी लोग ही बता रहे हैं।

चलो एक बार के लिए मान भी लिया जाए कि जिहादियों का बताया अर्थ ही सही है तो फिर उपाय क्या है? क्या हमें समाधानपरक चिंतन नहीं करना चाहिए? समाधान शायद दीनानाथ जी के मन में यह होगा कि भारत के मुसलमानों को खत्म कर दिया जाए। या यह नहीं किया जा सके तो उन्हें आतंकित कर रखा जाए। उन्हें ऐसी बस्तियों तक सीमित कर रखा जाए जैसा आज तक दलितों को रखा जा रहा है। यह तो संभव नहीं है।

कुरान में क्या लिखा है इसके आधार पर ही क्या कोई समाधान होगा? मान लिया कि कुरान में गैर-मुसलमानों के लिए आपत्तिजनक बातें लिखी हैं और जिहादी उन्हीं को सही मानते हैं। लेकिन यह जरूरी है कि हर कोई कुरान के एक-एक शब्द पर ही चले? या कुरान की जिहादियों की व्याख्या पर (वे सही हों तो भी) ही चले? क्या हमारा यह कर्तव्य नहीं बनता कि शांतिप्रिय मुसलमानों के हाथ मजबूत करें। आखिर कुरान के रहते हुए भी भारत में सूफी परंपरा चली। सूफी मतवाद की बातों को अरब के मुसलमान गैर-इस्लामी बता देंगे, लेकिन क्या सूफी मत का भारत के मुसलमानों पर कोई प्रभाव नहीं रहा।

मनुस्मृति में क्या लिखा है इस आधार पर आज के सवर्ण दलितों के प्रति अपना आचरण तय नहीं करते। इसलिए यह अपेक्षा भी नहीं करते कि मनुस्मृति के आधार पर यह मान लिया जाए कि आज के सभी सवर्ण दलितों को अस्पृश्यता को बनाए रखने के समर्थक हैं।


मान लिया कि मुसलमान राजाओं के कत्लेआम और आतंकवादियों के नरसंहार के सामने मालेगांव की घटना कुछ भी नहीं है। लेकिन पकड़े गए लोगों के साथ कानून के अनुसार तो व्यवहार तो होना ही चाहिए। अमरीका में इतने बड़े ट्रेड सेंटर गिरा दिए गए। लेकिन एक सिख को मुसलमान समझकर मारने वाले अमरीकी नागरिक को वहां की सरकार ने यह कहकर माफ तो नहीं कर दिया कि यह तो छोटी सी घटना है। मालेगांव के आरोपियों की तरफदारी करना दीनानाथ जी को या उनके आका राजनाथ जी को शोभा नहीं देता।

शायद समझदार लोग इसका भी कोई जोरदार सा जवाब दे डालेंगे। लेकिन मुसलमानों की गलतियां गिनानें की बजाय यह तो बताया जाए कि समाधान क्या है? देश को किस दिशा में ले जाना है।

7 टिप्‍पणियां:

  1. मालेगांव केस में अभी भी एटीएस के पास कोई सबूत नहीं है (मोटरसाइकल के आलावा). साध्वी का चार बार नार्को और ब्रेन मैपिंग टेस्ट हो चुका है पाँचवे की तैयारी है, आख़िर ये कैसी जांच है? सेना के कर्नल को बिना जांच के बर्खास्त कर दिया गया, सेना के पैनल की अनुशंसा पर नहीं बल्कि ए.के.एंटोनी के दवाब पर. देशद्रोही इतालवी भक्त कांग्रेस ने चुनावी फायदे के लिए सेना तक को नहीं बख्शा, पता नहीं रा या आईबी को कितना खोखला किया जा चुका होगा? क्या किसी साजिश की भनक नहीं लग रही, लोगों का तो बदबू से सर फटा जा रहा है.

    आपको ग्लोबल जिहाद का जितना भी समर्थन करना हो कीजिये, कोई रोक नहीं है, पर बिना किसी आधार के आप सुनीसुनाई बातों पर हिन्दुओं को आतंकवाद से नहीं जोड़ सकते. कांग्रेसी नेताओं और प्रायोजित एटीएस के आरोपों के आलावा क्या कोई ठोस आधार भी है, आपके पास हो तो सार्वजनिक करें.

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  2. बिनोद जी मैं आप की बात से सहमत हूँ. अगर धार्मिक किताबों को देखा जाये तो जाने कितनी इस तरह की बातें हर धर्म में मिलती हैं जिन्हें आज सही नहीं माना जा सकता. हर धर्म में तरह तरह की सोच है. मुझे यह भी लगता है कि मुसलमान समाज का बहुत सा भाग आज एक विशिष्ट सोच जिसे आप वहाबी कहिये या अरबी कहिये, उसके सामने आतंकित है, सही मुसलमान कौन है, क्या मुसलमान होने का अर्थ धर्म की हर बात को मानना है जैसी बातों पर बहस हो सकती है. यह चुनौती मुसलमान समाज के सामने है जिसका रास्ता उन्हें स्वयं ही खोजना होगा. उसी के साथ हिंदू समाज का एक हिस्सा भी उसी तरह की कट्टरता की ओर जा रहा है जिसकी चुनौती हिंदू समाज के सामने है. इस तरह के वातावरण में सभी धर्मों के उदारवादी और आधुनिक सोच वाले लोगों को बढ़ावा देने का समय है, न कि इस बहस में रुक जाने का कि कौन अधिक कट्टर है, कौन अधिक हिंसक है, कौन अधिक रूढ़िवादी है.

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  3. जाति,पोस्ट और जगह देखकर अपराध तय करना उचित नहीं है।

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  4. ब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है. खूब लिखें, खूब पढ़ें, स्वच्छ समाज का रूप धरें, बुराई को मिटायें, अच्छाई जगत को सिखाएं...खूब लिखें-लिखायें...
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    आप मेरे ब्लॉग पर सादर आमंत्रित हैं.
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    अमित के. सागर
    (उल्टा तीर)

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  5. भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है
    लिखते रहिए लिखने वाले की मंज़िल यही है }
    कविता और गज़ल के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है।

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  6. you are a good thinker vinod jee... mujhe aapka blog bahut accha laga..please apne naye post ke baare me ittalaa karte rahe.

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