चियांग माई जाने के बाद मेरी चीन जाने की इच्छा खत्म हो गई। कारण यह है कि थाईलैंड के इस उत्तरी हिस्से में पड़ने वाले इस शहर में काफी बड़ी संख्या में चीनी सैलानी आते हैं। दक्षिण चीन की सीमा यहाँ से मात्र दो-तीन सौ किलोमीटर दूर है, हालांकि चीन की सीमा सीधे थाईलैंड की सीमा से सटती नहीं। आपको बर्मा या लाओस से होकर चीन जाना होगा। लोग लाओस होकर ही जाते हैं।
सबसे नजदीकी चीनी कस्बा जिंगहोंग है, जो चार सौ किलोमीटर दूर पड़ता है, और चीनी शहर कुनमिंग, डाली, चेंगडु आदि के लिए चियांग माई से सीधी हवाई सेवा मिलती है। चियांग माई में चीन का कनसुलेट भी है, जहां से वीसा मिलता है। चियांग माई के शांत, सुंदर और हरे-भरे शहर में समय बिताने के लिए आने वाले चीनी यात्रियों की हमेशा भरमार रहती है। हालांकि उतनी ही संख्या में गोरे पर्यटक भी यहां आते हैं। संख्या के लिहाज से चीनी यात्रियों का इतना अधिक प्रभाव है कि यहां के हर गाइड को चीनी भाषा आती है। दुकानों, होटलों और एयरपोर्ट पर तीन भाषाओं का प्रयोग होता है – थाई, अंग्रेजी और चीनी।
चियांग माई में चीनी यात्रियों को देखकर इस बात का काफी अंदाजा हो जाता है कि चीनी लोगों की पसंद क्या है, वे क्या खाते हैं, कैसे खाते हैं और कैसे तफरीह करते हैं। हर जाति का तफरीह करने का अपना अलग तरीका होता है। जैसे गोरे पर्यटकों को किसी शांत स्थान पर बैठकर घंटों बीयर पीना पसंद होता है। यदि समुद्र तट हो तो तैरना उनका एक प्रमुख शौक है। चियांग माई में पश्चिमी पर्यटकों को पसंद आने वाली दूसरी चीज है जंगल में हाइकिंग करना। चियांग माई बहुत ही सुंदर और जैव-विविधता से भरे वर्षावनों से घिरा हुआ है जहां घूमना और वहां की वनस्पतियों की जानकारी लेना जीवन का एक बहुत ही समृद्ध अनुभव हो सकता है।
चियांग माई में चीनी यात्रियों को देखकर इस बात का काफी अंदाजा हो जाता है कि चीनी लोगों की पसंद क्या है, वे क्या खाते हैं, कैसे खाते हैं और कैसे तफरीह करते हैं। हर जाति का तफरीह करने का अपना अलग तरीका होता है। जैसे गोरे पर्यटकों को किसी शांत स्थान पर बैठकर घंटों बीयर पीना पसंद होता है। यदि समुद्र तट हो तो तैरना उनका एक प्रमुख शौक है। चियांग माई में पश्चिमी पर्यटकों को पसंद आने वाली दूसरी चीज है जंगल में हाइकिंग करना। चियांग माई बहुत ही सुंदर और जैव-विविधता से भरे वर्षावनों से घिरा हुआ है जहां घूमना और वहां की वनस्पतियों की जानकारी लेना जीवन का एक बहुत ही समृद्ध अनुभव हो सकता है।
चीनी यात्री अकेले या जोड़े में कम और समूह में ज्यादा आते हैं। यदि बड़े समूह न भी हों तो चार या छह के समूह आपको दिखाई दे जाएंगे। अन्य चीजें यदि गोरे लोगों के समान हों तो इनका एक प्रमुख शौक चियांग माई में खरीदारी करना होता है। चियांग माई में खाना और अन्य सामान काफी सस्ता है, हालांकि यहां बैंकाक की तरह बड़े-बड़े मॉल नहीं हैं। वापसी की फ्लाइट में आप पाएँगे कि चीनी युवक और युवतियों के सूटकेश थाईलैंड से खरीदे सामानों से ठसाठस भरे रहते हैं।
जो बड़ी उम्र के चीनी यात्री होते हैं उनकी रुचि बौद्ध मंदिरों में भी होती हैं। वे बड़ी श्रद्धा के साथ इन मंदिरों के दर्शन करते हैं और वहां अगरबत्ती जलाते हैं और मोम के दियों को पानी में तैराते हैं। यह दिया जलाने की चीनी शैली है। उनके हाथ जोड़कर ईश्वर को प्रणाम करने और हमारे प्रणाम करने के तरीके में एक महीन भेद है जिसे देखकर ही अनुभव किया जा सकता है।
दूसरे थाई शहरों की तरह चियांग माई में भी मसाज पार्लरों की भरमार है। हालांकि यह थाई मालिश कितनी कारगर होती है इसे लेकर अभी भी संदेह का निवारण नहीं हुआ है। मेरा अनुभव यही है कि यह प्रचार के बल पर चलती है और बाहर से आया सैलानी एक नया अनुभव लेने के लिए मालिश करवा लेता है। जहां तक पश्चिमी पर्यटकों का सवाल है उनके लिए दो सौ ब्हात यानी चार सौ रुपए का मोल सिर्फ छह डालर के बराबर है। इतने पैसे में पश्चिमी देशों में आप जैसे-तैसे नाश्ता भर कर सकते हैं। इसलिए मसाज पार्लर में गोरों की भीड़ हो तो आश्चर्य ही क्या।
चियांग माई आने वाले चीनियों को देखकर इस बात का सहज अहसास हो जाता है कि चीन की आबादी किस तरह युवा आबादी है। इनकी तुलना में पश्चिम की आबादी में बुजुर्गों का प्रतिशत बढ़ता जा रहा है। इसीलिए पश्चिम से सैर करने आने वालों में बड़ी उम्र के लोग भी बड़ी संख्या में दिखाई दे जाते हैं। कोई-कोई तो अकेला होता है और लगता है अपनी बोरियत मिटाने यहां आया है। हमें जंगल ले जाने वाला गाइड बताता है कि स्कैंडिनेवियाई देशों, अर्थात स्वीडन और डेनमार्क के कई वृद्ध लोग यहां स्थायी रूप से रहने लग गए हैं। वे यहां जमीन नहीं खरीद सकते लेकिन उन्हें फ्लेट खरीदने की इजाजत है।
जो बड़ी उम्र के चीनी यात्री होते हैं उनकी रुचि बौद्ध मंदिरों में भी होती हैं। वे बड़ी श्रद्धा के साथ इन मंदिरों के दर्शन करते हैं और वहां अगरबत्ती जलाते हैं और मोम के दियों को पानी में तैराते हैं। यह दिया जलाने की चीनी शैली है। उनके हाथ जोड़कर ईश्वर को प्रणाम करने और हमारे प्रणाम करने के तरीके में एक महीन भेद है जिसे देखकर ही अनुभव किया जा सकता है।
दूसरे थाई शहरों की तरह चियांग माई में भी मसाज पार्लरों की भरमार है। हालांकि यह थाई मालिश कितनी कारगर होती है इसे लेकर अभी भी संदेह का निवारण नहीं हुआ है। मेरा अनुभव यही है कि यह प्रचार के बल पर चलती है और बाहर से आया सैलानी एक नया अनुभव लेने के लिए मालिश करवा लेता है। जहां तक पश्चिमी पर्यटकों का सवाल है उनके लिए दो सौ ब्हात यानी चार सौ रुपए का मोल सिर्फ छह डालर के बराबर है। इतने पैसे में पश्चिमी देशों में आप जैसे-तैसे नाश्ता भर कर सकते हैं। इसलिए मसाज पार्लर में गोरों की भीड़ हो तो आश्चर्य ही क्या।
चियांग माई आने वाले चीनियों को देखकर इस बात का सहज अहसास हो जाता है कि चीन की आबादी किस तरह युवा आबादी है। इनकी तुलना में पश्चिम की आबादी में बुजुर्गों का प्रतिशत बढ़ता जा रहा है। इसीलिए पश्चिम से सैर करने आने वालों में बड़ी उम्र के लोग भी बड़ी संख्या में दिखाई दे जाते हैं। कोई-कोई तो अकेला होता है और लगता है अपनी बोरियत मिटाने यहां आया है। हमें जंगल ले जाने वाला गाइड बताता है कि स्कैंडिनेवियाई देशों, अर्थात स्वीडन और डेनमार्क के कई वृद्ध लोग यहां स्थायी रूप से रहने लग गए हैं। वे यहां जमीन नहीं खरीद सकते लेकिन उन्हें फ्लेट खरीदने की इजाजत है।
सबसे बड़ी बात यह कि यहां यूरोप की तुलना में अपेक्षाकृत सस्ती नर्सें मिल जाती हैं, जो दिन-रात उनके घर में उनके साथ रहकर ही उनकी देखभाल करती हैं। व्यवसाय की दृष्टि से यह थाई लोगों का अच्छा आईडिया है। एक तरफ पैसा है और दूसरी तरफ काम करने की क्षमता, प्राइवेट नर्सों का यह व्यवसाय ऐसी चीज है जिससे दोनों पक्ष काफी खुश हैं। पूर्वोत्तर भारत, बांग्लादेश, बर्मा, थाईलैंड और दक्षिण चीन के विशेषज्ञ माने जाने वाले जाने-माने स्विडिश पत्रकार बर्टिल लिंटनर का घर भी यहीं हैं। वे किसी समय अपनी शान पत्नी के साथ नगालैंड होकर बर्मा गए थे। उनसे वहां मिलना नहीं हो पाया क्योंकि जब मैं वहां था तो वे बैंकाक गए हुए थे।
उत्तरी थाईलैंड में भी बाकी देश की तरह ही जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं का बोलबाला है। इस बात को इसी से समझा जा सकता है कि जब हम वापस आ रहे थे तो गेस्टहाउस की रिसेप्सनिस्ट, हमारा सामान बाहर लाने में मदद करने वाली लड़की और बड़ी सी जापानी एसयूवी कैब को चलाने वाली ड्राइवर सभी युवतियां थीं। एयरपोर्ट पर घुसते समय हमारे सामान की जांच करने वाली और हमारी तलाशी लेने वाली सुरक्षा कर्मचारी भी महिलाएँ थीं। हालांकि चियांग माई में सभी ड्राइवर महिलाएँ नहीं हैं, अधिकतर पुरुष ही हैं। लगता है यही एकमात्र धंधा है जो थाई महिलाओं ने पुरुषों के लिए छोड़ रखा है।
चियांग माई शहर में घुसते ही इसकी सुंदरता मंत्रमुग्ध कर देती है। यहाँ एक पुराना शहर है जहां अधिकतर सैलानी रुकते हैं, और इसके बाहर बाद में विकसित हुआ नया शहर है। पुराने शहर को चारों ओर से घेरने वाली एक खाई है। खाई को बहुत ही सुंदर ढंग से साफ-सुथरा बनाकर रखा गया है। इसके दोनों ओर से सड़कें गुजरती हैं और पैदल चलने के लिए काफी चौड़ा ट्रैक है। ट्रैफिक बढ़ रहा है लेकिन बैंकाक की तरह यहां बाइक टैक्सियों का अत्याचार नहीं है। शायद बाइक टैक्सी लेने वाले भी उतने अधिक लोग नहीं हैं। ऑफिस जाने की शायद उतनी भागमभाग नहीं है।
उत्तरी थाईलैंड में भी बाकी देश की तरह ही जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं का बोलबाला है। इस बात को इसी से समझा जा सकता है कि जब हम वापस आ रहे थे तो गेस्टहाउस की रिसेप्सनिस्ट, हमारा सामान बाहर लाने में मदद करने वाली लड़की और बड़ी सी जापानी एसयूवी कैब को चलाने वाली ड्राइवर सभी युवतियां थीं। एयरपोर्ट पर घुसते समय हमारे सामान की जांच करने वाली और हमारी तलाशी लेने वाली सुरक्षा कर्मचारी भी महिलाएँ थीं। हालांकि चियांग माई में सभी ड्राइवर महिलाएँ नहीं हैं, अधिकतर पुरुष ही हैं। लगता है यही एकमात्र धंधा है जो थाई महिलाओं ने पुरुषों के लिए छोड़ रखा है।
चियांग माई शहर में घुसते ही इसकी सुंदरता मंत्रमुग्ध कर देती है। यहाँ एक पुराना शहर है जहां अधिकतर सैलानी रुकते हैं, और इसके बाहर बाद में विकसित हुआ नया शहर है। पुराने शहर को चारों ओर से घेरने वाली एक खाई है। खाई को बहुत ही सुंदर ढंग से साफ-सुथरा बनाकर रखा गया है। इसके दोनों ओर से सड़कें गुजरती हैं और पैदल चलने के लिए काफी चौड़ा ट्रैक है। ट्रैफिक बढ़ रहा है लेकिन बैंकाक की तरह यहां बाइक टैक्सियों का अत्याचार नहीं है। शायद बाइक टैक्सी लेने वाले भी उतने अधिक लोग नहीं हैं। ऑफिस जाने की शायद उतनी भागमभाग नहीं है।
बैंकाक में तो स्थानीय लोगों के लिए बाइक टैक्सी यातायात का एक प्रमुख साधन बन गया है। वहां लोग ट्रेन या बस से अपने घर के पास के स्टेशन या स्टाप पर उतरते हैं और इसके बाद वहां से अपने घर तक के लिए बाइक टैक्सी लेते हैं। चियांग माई में ऐसी बात नहीं है। यहां थाई शैली के तीन पहियों वाले आटो मिल जाते हैं या फिर बड़ी-बड़ी जापानी कारें जिन्हें टैक्सी की तरह चलाया जाता है।
पुराना शहर पब, काफी हाउस आदि से भरा पड़ा है। हर काफी हाउस को पुरानी शैली के लकड़ी के मकान की तरह सजाया हुआ है। अधिकतर मकान दो मंजिला हैं और उनका रंग भी बार्निश के रंग का होता है, आंखों को सुकून और एक पुराने शहर का अहसास देने वाला।
पुराना शहर पब, काफी हाउस आदि से भरा पड़ा है। हर काफी हाउस को पुरानी शैली के लकड़ी के मकान की तरह सजाया हुआ है। अधिकतर मकान दो मंजिला हैं और उनका रंग भी बार्निश के रंग का होता है, आंखों को सुकून और एक पुराने शहर का अहसास देने वाला।
पुराने शहर की हर गली में होटल और गेस्ट हाउस खुले हैं जिनमें लंबी अवधि तक रहने वाले पर्यटक रहते हैं। शहर में घूमने के लिए साइकिल या स्कूटी दिन भर के लिए किराए पर मिल जाती है। आपको हर गली में शहर का जायजा लेते युवा चीनी और गोरे पर्यटक मिल जाएंगे। लोग अपने घरों को गमलों, फूलों और सुंदर कैक्टस से मनमोहक रूप से सजा कर रखते हैं। दुनिया में कुछ शहर होते हैं जहां आप बार-बार जाना पसंद करेंगे। चियांग माई भी ऐसा ही एक शहर है। घर के इतना करीब।
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