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Journalist and writer, Writes on Northeast India, Bangladesh, Myanmar

सोमवार, 31 दिसंबर 2012

फेसबुक जिंदाबाद


कोई अपना हमें कितना ही बुरा कहे, जब पड़ोसी हमें ताना मारता है तो हृदय के टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं। दिल्ली गैंग रेप कांड की जिस बात ने दिल के टुकड़े कर दिए वह है ग्लोबल टाइम्स में चीन की यह टिप्पणी कि भारत सामाजिक विकास में अभी चीन से 30 साल पीछे चल रहा है। कोई अमरीका, कोई इंग्लैंड, कोई यूरोप हमें पिछड़ा कहे तो चलता है, लेकिन चीन, जिसने 1948 में हमारे साथ ही यात्रा शुरू की थी, उसकी आज यह मजाल कि हमें इस तरह ताना मारे!

पिछले एक दशक से भारत पश्चिम का दुलारा रहा है। हमारी आर्थिक प्रगति की दर को देखकर इसे आशा जगी थी कि चीन के बढ़ते कदमों को रोकने के लिए भारत का ही उत्साह बढ़ाना होगा। भारत एशिया में नई ताकत बनकर उभरे तो हमारे लिए ज्यादा अच्छा है, भारत हमारी भाषा समझता है, हम भारत की भाषा समझते हैं। चीन तो दुर्बोध्य है। वहां की लिपि एक रहस्य है। लेकिन यह क्या! चीन के इस सच का हम क्या उत्तर दें। 2012 के अंतिम दिन इसने यह क्या कह दिया। भारत में 40 सालों में रेप सात गुना बढ़ गए!

रेप जब सात गुना की रफ्तार से बढ़ रहे थे तो भारत के लोग 2012 के दिसंबर महीने तक का क्यों इंतजार कर रहे थे। क्या वे सचमुच उस बेहूदा भविष्यवाणी में विश्वास रखते थे जिसके अनुसार दुनिया 2012 के दिसंबर में खत्म होने वाली थी? दरअसल भारत इंतजार कर रहा था एक ऐसे माध्यम का जो सचमुच जनता का माध्यम हो। सोशल मीडिया, यानी फेसबुक, ट्विटर, यू ट्यूब आदि के रूप में वह माध्यम 2012 तक भारत में भी अपनी पूरी रवानी पर आ गया। मध्य वर्ग की युवा पीढ़ी के हाथों में स्मार्टफोन आ गए, 120 करोड़ की आबादी का छोटा सा फीसद ही अभी फेसबुक पर आया है कि इसका प्रभाव हुक्मरानों के लिए दुःस्वप्न बन गया है। यहां तक कि हरियाणा की खाप पंचायतों को फतवा जारी करना पड़ रहा है कि लड़कियां मोबाइल फोन नहीं रख सकतीं। जनता की नब्ज पर हाथ रखने वाली ममता बनर्जी भांप लेती हैं कि इस जिन्न को शुरू में ही बोतल में बंद कर देना जरूरी है। वे फेसबुक पर कार्टून लगाने वाले प्रोफेसर को जेल भेज देती हैं। बाल ठाकरे पर टिप्पणी करने वाली मासूम सी किशोरी दंगे करवा सकती है, सो महाराष्ट्र का एक पुलिस अफसर उसे जेल में डालने में देर नहीं करता।

पाठक जानते होंगे जंतर मंतर पर 25 दिसंबर को जब संभवी सक्सेना नामक एक 19 साल की बाला को गिरफ्तार कर पुलिस स्टेशन ले जाया गया तो उसने पुलिस की वैन से ही लोगों को अपनी अवैध गिरफ्तारी पर ट्विट करना शुरू कर दिया। थोड़ी ही देर में उसके ट्विट को 1700 लोगों ने रिट्विट किया। थोड़ी ही देर में यह संदेश दो लाख लोगों तक पहुंच गया। इंटरनेट पर हंगामा मच गया। पार्लियामेंट स्ट्रीट पर वकीलों, कार्यकर्ताओं, मीडिया की भीड़ लग गई। पुलिस को झुकना पड़ा।

गुवाहाटी में एक मित्र ने पूछा- घटनाएं तो बहुत सारी घटती हैं लेकिन जीएस रोड कांड पर देश भर में क्यों हंगामा खड़ा हो गया? उत्तर है यू-ट्यूब। हमारे प्रश्नकर्ता यू-ट्यूब नहीं देखते, सो उन्हें यू-ट्यूब की ताकत का अहसास नहीं। लेकिन कब तक कोई सोशल मीडिया से अछूता रहेगा। दशकों से सैनिकों की संगीनों के साए में महफूज रही मध्य-पूर्व की सल्तनतें एकाएक अवाम के भय से कांपने लगीं। एक के बाद एक तानाशाही हुकूमतें ताश के पत्तों की तरह ढहने लगीं तो भारत तो पहले से लोकतंत्र है। सोशल मीडिया क्या गुल खिला सकता है यह तो भारत में ही पता चलने वाला है। 2012 सिर्फ एक शुरुआत था। इंडिया गेट, जंतर-मंतर, गेट वे आफ इंडिया या गुवाहाटी के लास्ट गेट पर एकाएक मध्य वर्ग के शिक्षित युवाओं की गैर-राजनीतिक भीड़ के एकत्र होने और दशकों से उपेक्षित समस्याओं का समाधान मांगने जैसे और अधिक वाकये देखने के लिए सत्ताधीशों को तैयार रहना चाहिए।

वर्ष 2012 भारतीय गणतंत्र के इतिहास में मध्य वर्ग के आगाज का वर्ष कहलाएगा। जाति, धर्म, क्षेत्र और भाषा के भेदों की दीवारों को फांदकर बना यह अखिल भारतीय मध्य वर्ग हर राजनीतिक दल से उपेक्षित रहा है। अभी तक इसका अपना कोई राजनीतिक दल नहीं है। राजनीतिक दल मध्य वर्ग की समस्याओं को उठाना फिजूल का काम समझते हैं। जब दिल्ली गैंग रेप की घटना पर आवाज उठाई जाती है तब कोई काटजू सलाह देता है गांवों में दलित आदिवासी महिलाओं पर इतने अत्याचार होते हैं उन पर आप लोग क्यों नहीं बोलते। गुवाहाटी में दो घंटे की बारिश के बाद नाले में गिरने से मौत हो जाना एक साधारण बात हो गई है। आप आवाज उठाइए तो कहा जाएगा धेमाजी में इतनी भयंकर बाढ़ आती है आप उस पर कुछ क्यों नहीं बोलते?

वर्ष 2012 हुक्मरानों को सावधान कर गया है। मध्य वर्ग अब अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरने लगा है। अशिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी और समाजवाद के बड़े-बड़े शब्दों के पीछे की असलियत वह जानता है। उसे इन शब्दों में नहीं उलझना है। उसे आज की अभी की समस्या का हल चाहिए। उसे मुफ्त का राशन और सब्सिडी की यूरिया नहीं चाहिए। उसे शाम के बाद सुरक्षा चाहिए, अच्छे कालेज-संस्थान में एडमिशन चाहिए, रेल में आरक्षण चाहिए, घर में बिजली चाहिए, जलजमाव, भ्रष्टाचार से मुक्ति चाहिए। उसके पास सोशल मीडिया है, वह इन्हें हासिल करने के लिए निकल पड़ा है।

1 टिप्पणी:

  1. "What China, or for that matter any other country, has to say about India shouldn't be a reason for a hue and cry! The rape case has become a fodder for many in India, especially our politicians, so why blame China! For the Chinese Communist leaders it is an opportune moment to holler about how Democracy can bring about a country's downfall.
    The fact that Facebook or twitter or the Social Media has given a voice to the "Aam Aadmi" cannot be denied. But the degree to which the brutal rape of the 23 year old has been commodified by the same media is, at the same time, shocking! This is the Facebook generation; update a status, sham about how you care and then let the fire extinguish! It would be better if the media stops sensationalizing the horrific tragedy that befell the victim ! The grieving and bereaved family members of the victim do not really care about how a social networking site has brought about a metamorphosis of their daughter from a normal ambitious girl to a national symbol of pain and sorrow!
    Do your bit to save the country. Use the Social media to turn your thoughts into actions rather than your actions into status updates. And only then we can say "Facebook Zindabad!"

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